कौन हैं Arun Yogiraj ? जिन्होंने पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को किया साकार :Arun Yogiraj अयोध्या में कल राम मंदिर का उदघाटन बड़े ही उल्लास के साथ संपन्न हुआ और रामलला की मूर्ती का पूजन समारोह पीएम मोदी के द्वारा संपन्न हुआ | रामलला की इस अदभुत प्रतिमा आज हर शोसल मिडिया पर फोटो वायरल हो रहा है और जिसे देखकर सजीव अनुभव हो रहा है क्या आप जानते हैं इस प्रतिमा क किसने बनाया है ,
इस प्रतिमा के साथ एक और मूर्ती का जिक्र आया है जी हाँ और ये प्रतिमा है आदि गुरू शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची व 35 टन भारी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा अरूण ने पिता योगीराज शिल्पी ने सहयोग से बनाई थी । आदि गुरु शंकराचार्य की इस प्रतिमा को बनाने के लिए मैसूर में एचडी कोट से काले ग्रेनाइट के पत्थर का चयन किया और इस पर वर्ष 2020 में काम शुरू कर दिया । आइए जानते हैं अरूण योगीराज के बारे में |
NAME | Arun Yogiraj |
Born | 1983 |
Nationality | Indian |
Occupation | Sculptor , artist |
Notable work |
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Spouse | Vijetha |
Relative | Suryprakash yogiraj |
Award |
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट
सोमवार को अयोध्या राम मंदिर में स्थापित भगवान राम की प्रतिमा को बनाने वाले योगीराज अरूण ने ही केदारनाथ धाम में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई गई थी। जो वर्ष 2021 में स्थापित की गई थी। केदारनाथ त्रासदी में आदि शंकराचार्य की समाधि प्रतिमा बाढ़ में बह गई थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत आदि शंकराचार्य समाधि का निर्माण किया गया।
Arun Yogiraj ने बनाई थी खास मूर्ति, PMO ने की थी स्पेशल रिक्वेस्ट
Arun Yogiraj अयोध्या में बनाई गई राम की प्रतिमा को सजीव रूप देने वाले योगीराज अरुण ने 12 फुट ऊंची व 35 टन भारी आदि शंकराचार्य प्रतिमा पिता योगीराज शिल्पी ने सहयोग से बनाई थी। यह प्रतिमा आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा बनाने के लिए मैसूर में एचडी कोट से काले ग्रेनाइट के पत्थर का चयन किया और इस पर वर्ष 2020 में काम शुरू कर दिया।
चिनूक हेलीकॉप्टर से केदारनाथ पहुंची प्रतिमा
प्रतिमा को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से पहले गोचर व उसके बाद केदारनाथ धाम पहुंचाया गया। यह प्रतिमा कृष्णशिला पत्थर से तैयार की गई। धाम में तीर्थयात्रियों के लिए नया आकर्षण का केन्द्र है।
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Arun Yogiraj ने 2013 आपदा के बाद शुरू किया था कम
केदारनाथ में जून 2013 में आई दैवीय आपदा में आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि बह गई थी। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशों के क्रम में केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों के तहत शंकराचार्य की समाधि का विशेष डिजाइन तैयार किया गया। केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे छह मीटर जमीन की खुदाई कर समाधि तैयार की गई है। समाधि के मध्य में शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
पिता-पुत्र ने मिलकर बनाई प्रतिमा
मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने अपने पुत्र अरुण योगीराज के साथ मिलकर यह प्रतिमा तैयार की है। चमक के लिए इसे नारियल पानी से पॉलिश किया गया। इससे पहले शंकराचार्य की प्रतिमा बनाने के लिए देशभर के मूर्तिकारों ने अपने माडल पेश किए थे।
Arun Yogiraj से पीएम कार्यालय ने किया था अनुबंध
प्रधानमंत्री कार्यालय से योगीराज शिल्पी से प्रतिमा तैयार करने को अनुबंध किया गया। योगीराज ने कच्चे माल के रूप में 120 टन वजनी पत्थर की खरीद की। छेनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद प्रतिमा का वजन 35 टन हो गया है। वर्ष 2020 में सितंबर में प्रतिमा बनाने का काम शुरू हुआ।
आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा है अद्भुत
बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि केदारनाथ धाम में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित होने से देश विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को आदि गुरु शंकराचार्य के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। बताया कि यह मूर्ति भी अयोध्या में स्थापित राममूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरूण योगराज द्वारा बनाया गया है।
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पीएम मोदी ने किया था अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021 को पांच नवंबर केदारनाथ में पूजा-अर्चना करने के बाद पीएम मोदी ने श्री आदि शंकराचार्य के पुनर्निर्मित समाधि स्थल का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने केदारनाथ में मोक्ष प्राप्त करने वाले 8वीं शताब्दी के द्रष्टा गुरु शंकराचार्य की 12 फीट की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया है, यह प्रतिमा इस प्रकार का चट्टान है जो बारिश, धूप और कठोर जलवायु का सामना करने के लिए जाना जाता है
Arun Yogiraj की पांच पीढ़ियां है मूर्तिकार
पांच पीढ़ियों की विरासत के साथ मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने अपने बेटे अरुण की मदद से आदि गुरु शंकराचार्य की नई प्रतिमा पर काम पूरा किया। योगीराज को देश भर में मूर्तिकारों की खोज के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने अनुबंध किया था। योगीराज ने सितंबर 2020 में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था। वर्ष 2021 नवंबर में यह मूर्ति केदारनाथ धाम में स्थापित हुई।